जमीन बेचने के नाम पर 7 लाख 60 हजार रुपये की ठगी,fir दर्ज
दोनों आरोपित 22 फरवरी 2012 को ग्राम सलौनी खैरागढ़ जिला राजनांदगांव निवासी आरोपित शिव कुमार डडसेना को लेकर पीड़ितों के पास पहुंचे।
राजनांदगांव / भिलाई। पांच शातिरों ने दो लोगों से जमीन बेचने के नाम पर सात लाख 60 हजार रुपये की ठगी की है। आरोपितों ने षडयंत्र के तहत दोनों पीड़ितों को फंसाया और उनसे ठगी की। दोनों पीड़ितों ने इसकी पुलिस से भी शिकायत की।
लेकिन, पुलिस ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद विवश होकर दोनों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। न्यायालय ने आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।
जिसके बाद पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध किया है।
पुलिस ने बताया कि माडलटाउन निवासी मुरली प्रसाद साहू और किशोरी लाल से ठगी हुई है।
प्रकरण के मुताबिक मदर टेरेसा नगर निवासी आरोपित मो. मकबूल और शांति नगर निवासी दिनेश कुजूर से दोनों शिकायतकर्ताओं की पहले से पहचान थी। दोनों आरोपित 22 फरवरी 2012 को ग्राम सलौनी खैरागढ़ जिला राजनांदगांव निवासी आरोपित शिव कुमार डडसेना को लेकर पीड़ितों के पास पहुंचे।
आरोपितों ने कहा था कि शिव कुमार डडसेना की ग्राम पटेवा में चार एकड़ जमीन है। जिसे वो बेचना चाहता है। दोनों पीड़ितों ने उस जमीन को खरीदने की इच्छा जताई और 90 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का सौदा किया। इसके बाद दोनों पीड़ितों ने आठ हजार रुपये उसी दिन बयाना के तौर पर दे दिया।
इसके बाद दोनों पक्षों के बीच जमीन बिक्री का अनुबंध हुआ। जिसमें आरोपित मो. मकबूल और दिनेश कुजूर ने गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किया। इसके बाद 22 फरवरी को तीनों आरोपित फिर से पीड़ितों से मिले और जमीन के सौदे की रकम लेकर राजनांदगांव चलने के लिए कहा।
राजनांदगांव में जाने के बाद आरोपितों ने एक अन्य आरोपित भगवती कोष्ठा से उनकी मुलाकात कराई और बोला कि जिस जमीन का सौदा हुआ उसका मालिक भगवती कोष्ठा है। दोनों पीड़ितों ने दूसरे की जमीन को अपना बताकर सौदा करने पर आपत्ति की तो आरोपितों ने माफी मांगते हुए एक नया अनुबंध बनवाया। उसी दिन पीड़ितों से बाकी के तीन लाख 32 हजार रुपये भी लिए।
रुपये लेने के बाद आरोपितों ने जल्द ही रजिस्ट्री करवाने की बात कही। लेकिन, समय बीतने के बाद भी आरोपितों ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई। जब पीड़ितों ने आरोपितों से संपर्क किया तो आरोपितों ने कहा कि वो जमीन स्पेशल एरिया में आ गई है। इसलिए कलेक्टर से परमिशन लेने के लिए चार लाख रुपये और लगेंगे।
यदि वे दोनों चार लाख रुपये नहीं देते हैं तो उनके तीन लाख 60 हजार रुपये भी डूब जाएंगे। इस बार भी पीड़ितों ने आपत्ति करते हुए अपने रुपये वापस मांगे तो आरोपितों ने रुपये लौटाने से साफ इन्कार कर दिया।
पीड़ितों ने अपनी जमीन बचाने के लिए 11 अगस्त 2012 और एक सितंबर 2012 को दो-दो लाख रुपये कर के चार लाख रुपये आरोपितों को दिए। रुपये लेने के बाद भी आरोपितों ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं की।
तब पीड़ितों को ठगे जाने का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने सुपेला थाना और एसपी आफिस में भी शिकायत की। लेकिन, वहां से भी कोई कार्रवाई न होने पर पीड़ितों ने न्यायालय की शरण ली थी।